तकनीकी शिक्षा विधान काउंसिल का उद्देश्य भारत में शिक्षा व्यवस्था को और मजबूत बनाना है। आज का युग तकनीक आधारित है। तकनीक के आने से बहुत फायदे हुए है तो बहुत नुकसान भी हुआ है। इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए संस्था का मानना है कि स्कूलों में योग शिक्षा अनिवार्य रूप से सिखाया जाना चाहिए।
आज की पीढ़ी पर शारीरिक दबाव कम और मानसिक दबाव बहुत ज्यादा होता है। फोन और कंप्यूटर के इस युग ने बच्चों को इतना प्रभावित किया है कि आज के बच्चों ने घर के बाहर खेले जाने वाले खेल को खेलना कम कर दिया है। इसका प्रभाव यह हुआ है की आज के बच्चे कई तरह की समस्याओं का सामना कर रहे हैं। इनमें से कुछ समस्याएं निम्नलिखित हैं:
इन कारणों को देखते हुए तकनीकी शिक्षा विधान परिषद का मानना है की सभी स्कूलों में योग शिक्षा अनिवार्य रूप से सिखाया जाना चाहिए। योग इन सभी समस्याओं को दूर करने में मदद करता है। योग बच्चों को शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहने में मदद करता है। इसलिए, बच्चों को नियमित रूप से योग करना चाहिए। योग बच्चों को निम्नलिखित लाभ प्रदान कर सकता है:
जब से 21 जून को योग दिवस घोषित किया गया है, तब से दुनिया भर में योग के प्रति रुझान बढ़ गया है और हमारा प्रयास है कि इसे नई ऊंचाइयों पर ले जाया जाए। NEP 2020 में घोषित राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी योग को लेकर पहल की जा चुकी है। CBSE में कक्षा 11 और 12 के लिए योग पाठ्यक्रम भी जारी किया गया है। तकनीकी शिक्षा विधान काउंसिल का उद्देश्य भारतीय मूल्यों पर आधारित और भारतीय संस्कृति की जड़ों से पोषित प्राथमिक विद्यालय से उच्च विद्यालय तक संपूर्ण योग शिक्षा की प्रणाली का मार्ग प्रशस्त करना है। विभाग ने सदैव अपने सामने सकारात्मक लक्ष्य रखा है। अतः तकनीकी शिक्षा विधान काउंसिल का दृष्टिकोण भविष्योन्मुखी रहा है।
शिक्षा जीवन का मूल तत्त्व है। यदि शिक्षा सही होगी, शिक्षा का उद्देश्य सार्थक और सकारात्मक जीवनशैली का निर्माण होगा तभी देश उन्नति और प्रगति करेगा।
व्यक्ति श्रेष्ठ होगा तभी एक सशक्त राष्ट्र का निर्माण होगा। इस मूलमंत्र को दृष्टिगत रखते हुए योग शिक्षा अनिवार्य रूप से सिखाया जाना चाहिए। हमारा दृढ़ संकल्प है कि शिक्षा का स्थान समाज में सर्वोच्च होना चाहिए। शिक्षा व्यवसाय नहीं, एक राष्ट्र निर्माण यज्ञ है। इसमें शिक्षक/आचार्य/ मार्गदर्शक का स्थान सर्वोच्च है।
ज्ञान का विस्तार अनंत है और शिक्षा की संभावना अथाह है। रचनात्मकता असीम है तथा श्रेष्ठता अनादि है। कोई विचार पूर्ण नहीं है किंतु कोई भी प्रयास अपूर्ण भी नहीं है। यह पूर्णता से प्रारंभ होकर पूर्णत्व को प्राप्त करने की यात्रा है। यह एक से अनेक होते हुए पुन: एकाकार होने का प्रयास है। उसी पूर्णता की प्रार्थना और आकांक्षा है जो इस भारत भूमि को एक बार पुनः विश्व-गुरु के रूप में प्रतिष्ठित करें।
Transforming lives, one breath at a time – Takiniki Siksha Vidhaan Council, where yoga becomes a poetic journey and every soul finds its celestial rhythm.
"Transforming lives, one breath at a time – Takiniki Siksha Vidhaan Council, where yoga becomes a poetic journey and every soul finds its celestial rhythm."
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